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अक्षय तृतीया: क्यों है सोने की खरीदारी का यह दिन खास?

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अक्षय तृतीया का महत्व

Akshaya Tritiya 2025 (Image Credit-Social Media)

अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी का महत्व: जब वसंत की हल्की हवा में सोने की चमक बिखरती है और हर जगह उल्लास का माहौल होता है, तब यह संकेत है कि अक्षय तृतीया का पर्व आ चुका है। यह दिन भारतीय संस्कृति में शुभ आरंभ के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। अक्षय तृतीया केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह समृद्धि, श्रद्धा और स्थायी सुख का प्रतीक है। इस दिन हर कोई चाहता है कि उसकी हर नई शुरुआत 'अक्षय' हो, यानी कभी समाप्त न हो।


अक्षय तृतीया का ऐतिहासिक महत्व ऐतिहासिक घटनाएं

अक्षय तृतीया से जुड़ी कई ऐतिहासिक घटनाएं और सांस्कृतिक प्रसंग इसे विशेष बनाते हैं:

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Akshaya Tritiya 2025 (Image Credit-Social Media)


पांडवों का अक्षय पात्र महाभारत काल की घटना

महाभारत के समय, जब पांडव वनवास में थे, भगवान सूर्य ने युधिष्ठिर को एक ऐसा पात्र दिया था जो कभी खाली नहीं होता था। इसी 'अक्षय पात्र' से द्रौपदी ने ऋषियों और अतिथियों को भोजन कराया था। यह चमत्कार अक्षय तृतीया के दिन हुआ था, जिससे यह तिथि चिरसंपन्नता का प्रतीक मानी गई।


त्रेता युग का आरंभ त्रेता युग का आरंभ

मान्यता है कि इसी दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी, जिसमें भगवान राम का जन्म और उनके जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंग हुए।


भगवान परशुराम का जन्म परशुराम जयंती

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Akshaya Tritiya 2025 (Image Credit-Social Media)

अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्मदिवस भी माना जाता है। इस दिन को 'परशुराम जयंती' के रूप में मनाया जाता है।
गंगा का अवतरण गंगा का अवतरण

भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ गंगा इसी दिन स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है।


धन और वैभव का दिन भगवान विष्णु और कुबेर की कथा

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Akshaya Tritiya 2025 (Image Credit-Social Media)

मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने कुबेर को धन का अधिपति नियुक्त किया था। तभी से यह दिन संपत्ति और धन-संपदा की प्राप्ति के लिए विशेष माना गया।


धार्मिक मान्यताएं श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता

अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा का स्वागत किया था। सुदामा ने कृष्ण को चिउड़े भेंट किए, और कृष्ण ने बिना कहे उनके सारे दुख दूर कर दिए। यह कथा बताती है कि सच्ची भक्ति और मित्रता का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता।


दान का महत्व दान का महत्व

इस दिन दान को 'अक्षय पुण्य' देने वाला माना जाता है। जल, अन्न, वस्त्र, स्वर्ण, गाय, भूमि और छत्र आदि का दान विशेष फलदायी होता है।


सोने की खरीदारी का महत्व अक्षय तृतीया और सोने की खरीदारी

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Akshaya Tritiya 2025 (Image Credit-Social Media)

इस दिन सोने की खरीदारी की परंपरा इसलिए है क्योंकि 'अक्षय' का अर्थ है जिसमें कभी कमी न आए। लोग मानते हैं कि इस दिन खरीदा गया सोना कभी नष्ट नहीं होता और परिवार में समृद्धि लाता है।
पूजा विधि और परंपराएं पूजा विधि
  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा करें।
  • तांबे के पात्र में जल, चावल, फूल, तिल आदि से अर्घ्य दें।
  • तुलसी पत्र अर्पित करें और “ॐ श्री लक्ष्मीनारायणाय नमः” का जाप करें।
  • सुदामा-कृष्ण मिलन की कथा का पाठ करें।
  • स्वर्ण या अन्य संपत्ति का क्रय करें या आर्थिक निवेश करें।

क्षेत्रीय विविधता क्षेत्रीय विविधता

उत्तर भारत में इस दिन चावल, गेहूं, मिठाई और जल से भरे कलश का दान होता है। पश्चिम बंगाल में इसे 'आख्यातृतीया' कहा जाता है और व्यापारी अपने नए हिसाब-किताब की शुरुआत करते हैं। महाराष्ट्र और गुजरात में नव निवेश और गृह निर्माण की शुरुआत इसी दिन होती है। ओडिशा में इसे 'अक्षय तृतीया' पर 'अखा त्रितीया' कहते हैं और किसान इस दिन से धान बोने की शुरुआत करते हैं।


आधुनिक युग में अक्षय तृतीया आधुनिक युग में प्रासंगिकता

आर्थिक प्रगति का अवसर

बाजारों में इस दिन अभूतपूर्व बिक्री होती है, खासकर ज्वेलरी और रियल एस्टेट में। कई लोग इसे स्टार्टअप या नए प्रोजेक्ट शुरू करने का दिन मानते हैं।

सामाजिक सेवा और जागरूकता

अब यह दिन केवल धार्मिक न रहकर सामाजिक संदेश का भी वाहक बन गया है, जैसे जल संरक्षण, अन्नदान, पर्यावरण सेवा आदि।

अक्षय तृतीया विश्वास और वैभव का संगम

अक्षय तृतीया केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि हमारे सामाजिक, आध्यात्मिक और आर्थिक जीवन का एक सुनहरा अध्याय है। यह पर्व हमें सिखाता है कि यदि श्रद्धा, भक्ति और सेवा का भाव हो, तो जीवन में कोई भी कार्य अक्षय फल प्रदान कर सकता है।


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